धनतेरस क्यों मनाया जाता है

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धनतेरस क्यों मनाया जाता है – निबंध (लगभग 500 शब्दों में)

धनतेरस क्यों मनाया जाता है – निबंध (लगभग 500 शब्दों में)भारत त्योहारों का देश है, यहाँ हर पर्व किसी न किसी धार्मिक, ऐतिहासिक या सांस्कृतिक मान्यता से जुड़ा हुआ है। दीपावली से पहले आने वाला धनतेरस भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है और इसी कारण इसे ‘धनत्रयोदशी’ भी कहा जाता है। “धन” का अर्थ है – संपत्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि, जबकि “तेरस” का अर्थ है – तेरहवीं तिथि। इस दिन को शुभ और मंगलकारी माना जाता है, और लोग इस दिन नए बर्तन, आभूषण या अन्य वस्तुएँ खरीदते हैं।धार्मिक मान्यताधनतेरस से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा समुद्र मंथन की है। जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब उस समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश और आयुर्वेद शास्त्र लेकर प्रकट हुए। इसी कारण धनतेरस को आयुर्वेद और स्वास्थ्य से भी जोड़ा जाता है। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है, और इस दिन उनकी पूजा करके लोग अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं।एक अन्य कथा के अनुसार, इस दिन यमराज की पूजा का भी विशेष महत्व है। एक राजा के पुत्र की मृत्यु कुंडली के अनुसार विवाह के चौथे दिन ही हो जानी थी। परंतु उसकी पत्नी ने दीपक जलाकर और सोने-चांदी के आभूषणों का ढेर लगाकर यमराज को प्रवेश से रोका और पूरी रात अपने पति को जागृत रखकर उसका जीवन बचा लिया। तभी से इस दिन दीपदान करने और मृत्यु के भय को दूर करने की परंपरा शुरू हुई।सामाजिक और सांस्कृतिक महत्वधनतेरस का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बहुत बड़ा है। यह त्योहार व्यापारियों और गृहस्थों दोनों के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन लोग सोना-चाँदी, नए बर्तन, वाहन, या घर की आवश्यक वस्तुएँ खरीदते हैं। यह विश्वास है कि इस दिन की गई खरीदी घर में सुख, समृद्धि और लक्ष्मी का स्थायी वास कराती है।इसके अतिरिक्त, यह दिन स्वच्छता और स्वास्थ्य का संदेश भी देता है। लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और दीपक जलाकर वातावरण को शुद्ध बनाते हैं। चूँकि यह पर्व दीपावली से ठीक पहले आता है, इसलिए इसे नए आरंभ और उजाले का प्रतीक भी माना जाता है।आधुनिक परिप्रेक्ष्यआज के समय में भी धनतेरस का महत्व कम नहीं हुआ है। लोग इस दिन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से खरीदारी करते हैं। बाजारों में इस दिन विशेष रौनक दिखाई देती है। व्यापारी इस अवसर पर विशेष छूट और ऑफर देते हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हुए अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं और कई स्थानों पर आयुर्वेद से संबंधित कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।निष्कर्षधनतेरस केवल खरीदारी का त्योहार नहीं है, बल्कि यह अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि जीवन में धन के साथ-साथ स्वास्थ्य और सद्गुण भी आवश्यक हैं। इस दिन की पूजा और परंपराएँ हमें यह संदेश देती हैं कि यदि हम स्वच्छता, स्वास्थ्य और सकारात्मकता को अपनाएँगे, तो जीवन में खुशहाली और शांति अवश्य आएगी।इस प्रकार धनतेरस का पर्व धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक परंपरा और सामाजिक जीवन, तीनों को जोड़ने वाला एक महान पर्व है, जो दीपावली की शुरुआत का शुभ संकेत माना जाता है।धनतेरस में क्या क्या चीजें खरीदे जाते है और क्यों?

1. सोना और चाँदीक्यों खरीदा जाता है: सोना और चाँदी माँ लक्ष्मी का प्रतीक माने जाते हैं। इन्हें खरीदने से घर में स्थायी समृद्धि और धन का वास होता है।परंपरा के अनुसार, इस दिन खरीदा गया कीमती धातु कभी दुर्भाग्य नहीं लाती।

2. बर्तन (काँसे, पीतल या स्टील के)क्यों खरीदे जाते हैं: बर्तन खरीदना घर के लिए शुभ माना जाता है क्योंकि यह “अन्नपूर्णा” और “समृद्धि” का प्रतीक है।पुराने समय में लोग खासतौर पर काँसे और पीतल के बर्तन लेते थे, लेकिन आजकल स्टील के बर्तन भी खरीदे जाते हैं।

3. झाड़ूक्यों खरीदी जाती है: झाड़ू लक्ष्मी का स्वरूप मानी जाती है। इस दिन नई झाड़ू लेने से घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता दूर होती है और माँ लक्ष्मी का वास होता है।

4. धन्वंतरि पूजा की सामग्री / चिकित्सा से जुड़ी वस्तुएँक्यों खरीदी जाती हैं: क्योंकि इसी दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे। इसलिए स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए लोग औषधियाँ या स्वास्थ्य से जुड़ी वस्तुएँ खरीदते हैं।

5. लक्ष्मी–गणेश की प्रतिमाक्यों खरीदी जाती है: दीपावली की रात लक्ष्मी–गणेश की पूजा होती है। इसीलिए लोग धनतेरस पर नई प्रतिमाएँ खरीदते हैं, ताकि दीपावली पर नई मूर्तियों की स्थापना करके शुभ फल पा सकें।

6. गृह उपयोग की वस्तुएँ / इलेक्ट्रॉनिक्सक्यों खरीदी जाती हैं: आधुनिक समय में लोग इस दिन घर के काम आने वाली चीजें, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन या नए कपड़े भी खरीदते हैं। मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएँ लंबे समय तक शुभ फल देती हैं।

✅ निष्कर्ष:धनतेरस पर की गई खरीदारी केवल परंपरा नहीं है, बल्कि यह विश्वास भी है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएँ घर में धन, स्वास्थ्य, सौभाग्य और समृद्धि लाती हैं।धनतेरस के दिन कुछ चीज़ें खरीदना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इनसे घर में नकारात्मक ऊर्जा, दरिद्रता या कलह आ सकती है। आइए देखें कि धनतेरस पर क्या–क्या नहीं खरीदना चाहिए:

1. काले कपड़े – काला रंग अशुभ और नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

2. कांच और प्लास्टिक के बर्तन – ये स्थायी नहीं होते और शुभ फल नहीं देते।

3. तेज धार वाली वस्तुएँ (चाकू, कैंची, कील आदि) – इन्हें खरीदने से घर में विवाद और कटुता बढ़ने की आशंका रहती है।

4. तेल और घी – मान्यता है कि इस दिन तेल-घी लेने से दरिद्रता आ सकती है।

5. जूते-चप्पल – यह अपवित्र वस्तुएँ मानी जाती हैं और शुभ अवसरों पर नहीं खरीदी जातीं।

6. पुराना या सेकंड हैंड सामान – यह नकारात्मक ऊर्जा का वाहक माना जाता है और नए आरंभ के दिन इसे नहीं लेना चाहिए।

👉 निष्कर्ष:धनतेरस पर हमें हमेशा नई और शुभ चीज़ें जैसे सोना, चाँदी, बर्तन, झाड़ू या लक्ष्मी–गणेश की मूर्ति खरीदनी चाहिए, लेकिन ऊपर बताई गई वस्तुएँ लेने से बचना चाहिए ताकि घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।

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