Class 10 Hindi Chapter 10 जीने की कला

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जीने की कला Textbook Questions and Answers

स्वाध्याय

1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
मनुष्य जीवन को किस काम में लाया जाना चाहिए ?
(अ) जीवन को समझने
(ब) हँसी-खुशी में बिताने
(क) सरल काम करने
(ड) विकट काम करने
उत्तर :
(ब) हँसी-खुशी में बिताने

प्रश्न 2.
आदमी ज्यादा धार्मिक, फिलासफर और सदाचारी लगता है, ऐसा लोग कब समझते हैं ?
(अ) जब वह बुझेदिल हो
(य) जब वह प्रसन्न हो
(क) जब वह धर्म की बात करते हो
(ड) जब वह पवित्र हो
उत्तर :
(अ) जब वह बुझेदिल हो

प्रश्न 3.
लेखक के मतानुसार जीवन की समस्याओं को किस प्रजा ने ठीक से समझा था ?
(अ) प्राचीन भारतीय
(ब) अमेरिकन
(क) चीनी
(ड) आधुनिक भारतीय

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
जीवन की सबसे बड़ी गुत्थी कैसे सुलझायी जाय ?
उत्तर :
हंसी-खुशी से जीवन जीकर जीवन की सबसे बड़ी गुत्थी को सुलझाया जा सकता है।

प्रश्न 2.
जीवन की समस्या किसने ठीक समझा था ?
उत्तर :
चीनियों ने जीवन की समस्या को ठीक से समझा था।

प्रश्न 3.
दुनिया में सबसे बड़ा बुद्धिमान कौन है ?
उत्तर :
जो सबसे ज्यादा खुश रहता है, वह दुनिया में सबसे बड़ा बुद्धिमान है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
प्रसन्न रहने की कला क्या है ?
उत्तर :
जीवन का उद्देश्य आनंद प्राप्त करना है। इसके लिए प्रसन्न रहना बहुत जरूरी है। खिले हुए सुंदर फूल, बहते हुए झरने, गाते हुए पंछी, पेड़ों का नृत्य, टिमटिमाते तारे, चाँद के हंसते चेहरे और चमकते सूरज आदि को देखकर हम प्रसन्न होते हैं। प्रसन्न रहने के लिए इनका अवलोकन करना चाहिए।

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प्रश्न 2.
‘खुश रहना केवल एक जरूरत नहीं, यह एक नैतिक उत्तरदायित्व भी है’- कैसे ?
उत्तर :
मनुष्य के व्यक्तिगत जीवन का प्रभाव उस तक ही सीमित नहीं रहता। वह दूसरों पर भी पड़ता है। सुख-दुःख की छुत दूसरों को भी लगती है। हम उदास रहेंगे, तो हमें देखकर दूसरे भी उदास होंगे। हम खुश रहेंगे, तो हमें देखकर दूसरे भी खुश होंगे। इस तरह खुश रहना केवल एक जरूरत ही नहीं, यह एक नैतिक उत्तरदायित्व भी है।

प्रश्न 3.
हमारी खुशी हमें कब खुश नहीं कर सकती ?
उत्तर :
हम जो कुछ अपने लिए करते हैं, उसमें भी दूसरों का भाग होता है। हम खुद खुश होकर दूसरों को खुश करते हैं और दूसरों को खुश देखकर खद खुश होने लगते हैं। लेकिन जब हमारे चारों तरफ उदास चेहरे जमा हो जाएं, तब हमारी अपनी खुशी हमें खुश नहीं कर सकती।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के सविस्तार उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
आदमी का जीवन उसकी अपनी व्यक्तिगत जायदाद क्यों नहीं है ?
उत्तर :
हमारा जीवन एक शीशायर है। हम जो भी करते हैं, उसका प्रतिबिंब एक ही समय में सैकड़ों लोगों पर पड़ता है। हर आदमी पूर्णसंग्रह का अंश है। वह जो कुछ अपने लिए करता है, उसमें दूसरों का भाग होता है। दूसरे लोग जो कुछ करते हैं उससे वह प्रभावित होता है। इसलिए आदमी का जीवन उसकी अपनी व्यक्तिगत जायदाद नहीं है।

प्रश्न 2.
हम बुझे हुए दिल और सूखे हुए चेहरे के साथ कहाँ स्थान नहीं प्राप्त कर सकते ?
उत्तर :
बुझे हुए दिल और सूखे हुए चेहरे धर्म, फिलासफी और सदाचार के प्रतीक माने जाते हैं। जिस चित्र में सूरज का चमकता हुआ मस्तक, चाँद का हंसता हुआ चेहरा, तारों की झिलमिलाती हुई आँखें, पेड़ों का नृत्य, पंछियों का संगीत, बहते हुए पानी की तरंगें तथा खिलते हुए फूलों की बहारे अपनी शोभा दिखा रही हों, वहाँ हम बुझे हुए दिल और सूखे हुए चेहरों के साथ स्थान नहीं प्राप्त कर सकते।

5. निम्नलिखित शब्दों से कर्तृवाचक संज्ञा बनाइए :

प्रश्न 1.

  1. कला – …………
  2. नीति – …………
  3. बात – …………
  4. दिल – …………
  5. सदाचार – …………
  6. संगीत – …………
  7. नृत्य – …………

उत्तर :

  1. कला – कलाकार
  2. नीति – नीतिज्ञ
  3. बात – बातूनी
  4. दिल – दिलदार
  5. सदाचार – सदाचारी
  6. संगीत – संगीतकार
  7. नृत्य – नर्तक

6. निम्नलिखित शब्दों से विशेषण बनाइए :

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प्रश्न 1.

  1. संसार
  2. विश्वास
  3. प्रतिबिंब
  4. प्रकृति
  5. समय
  6. अंश

उत्तर :

  1. सांसारिक
  2. विश्वसनीय
  3. प्रतिबिंबित
  4. प्राकृतिक
  5. सामयिक
  6. आंशिक

7. निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए :

प्रश्न 1.

  1. प्रसन्न – ………
  2. सरल – ………
  3. बड़ा – ………
  4. खुश – ………
  5. उदास – ………
  6. बहुत – ………
  7. आदमी – ………

उत्तर :

  1. प्रसन्न – प्रसन्नता
  2. सरल – सरलता
  3. बड़ा – बड़प्पन
  4. खुश – खुशी
  5. उदास – उदासी
  6. बहुत – बहुतायत
  7. आदमी – आदमियत

जीने की कला Important Questions and Answers

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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :

प्रश्न 1.
कौन-सी कला सबसे आवश्यक है?
उत्तर :
प्रसन्न रहने की कला सबसे आवश्यक है।

प्रश्न 2.
लेखक की दृष्टि से सबसे बड़ा काम कौन-सा है?
उत्तर :
लेखक की दृष्टि से सबसे बड़ा काम जीवन जीने का है।

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प्रश्न 3.
किसकी छूत दूसरों को भी लग सकती है?
उत्तर :
सुख-दुःख की छूत दूसरों को भी लग सकती है।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी लेखक आंद्री गीद ने क्या लिखा है?
उत्तर :
फ्रांसीसी लेखक आंद्री गीद ने लिखा है कि – ‘खुश रहना केवल जरूरत नहीं है, यह एक नैतिक उत्तरदायित्व भी है’।

निम्नलिखित कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 1.
“खुश रहना केवल एक जरूरत नहीं है, यह एक नैतिक उत्तरदायित्व भी है”।
उत्तर :
लेखक का मत है कि मनुष्य को हर स्थिति में प्रसन्न रहना चाहिए। प्रसन्न रहने की कला सीख लेने पर अन्य किसी भी कला को सीखने की आवश्यकता नहीं होती। वे फ्रांसीसी लेखक आंद्री गीद (Andre Gide) के कथन का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि खुश रहना मनुष्य की जरूरत ही नहीं है, बल्कि यह उसका नैतिक उत्तरदायित्व है। हमारे सुख-दुःख की छूत दूसरों को भी लगती है। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि न हम उदास हों और न दूसरों को उदास करें। हम खुश रहेंगें तो अन्य भी खुश रह सकते हैं। एक अच्छे समाज के लिए खुश रहना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।

सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए :

प्रश्न 1.
लेखक सबसे बड़ा काम …….
(अ) हंसने को मानते है।
(ब) जीवन जीने को मानते है।
(क) सेवा को मानते है।
उत्तर :
लेखक सबसे बड़ा काम जीवन जीने को मानते है।

प्रश्न 2.
आदमी ज्यादा धार्मिक, फिलासफर और सदाचारी लगता है, ऐसा लोग समयेंगे जब वह …
(अ) बुझे दिल हो।
(ब) प्रसन्न हो।
(क) पवित्र हो।
उत्तर :
आदमी ज्यादा धार्मिक, फिलासफर और सदाचारी लगता है, ऐसा लोग समजेंगे जब वह बुझे दिल हो।

प्रश्न 3.
दुनिया का सबसे बड़ा बुद्धिमान …
(अ) जो संघर्ष करके जीता है।
(ब) जो अच्छा व्यवसाय करता है।
(क) जो सबसे ज्यादा खुश रहता है।
उत्तर :
दुनिया का सबसे बड़ा बुद्धिमान जो सबसे ज्यादा खुश रहता है।

प्रश्न 4.
हर आदमी …
(अ) पंचतत्व का अंश है।
(ब) पूर्णसंग्रह का अंश है।
(क) परमात्मा का अंश है।
उत्तर :
हर आदमी पूर्णसंग्रह का अंश है।

प्रश्न 5.
आंद्री गौद …
(अ) फ्रांसीसी लेखक है।
(ब) भारतीय लेखक है।
(क) अमरिकी लेखक है।
उत्तर :
आंद्रो गीद फ्रांसीसी लेखक है।

सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

प्रश्न 1.

  1. जीते रहना सबसे …………. काम है। (छोटा, बड़ा)
  2. मर जाना लेखक के हिसाब से ……….. काम है। (बड़ा, छोटा)
  3. प्राचीन …….. ने जीवन की समस्या को ठीक से समझा था। (चीनियों, भारतीयों)

उत्तर :

  1. बड़ा
  2. छोटा
  3. चीनियों

निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :

प्रश्न 1.
जीवन की समस्या को किसने ठीक समझा?
A. रुसवालों ने
B. चीनियों ने
C. अमरिकावालों ने
D. ऑस्ट्रियनों ने
उत्तर :
B. चीनियों ने

प्रश्न 2.
जो ज्यादा खुश रहता है, वह दुनिया का सबसे कैसा व्यक्ति है?
A. बुद्धिमान
B. चालाक
C. कायर
D. श्रेष्ठ
उत्तर :
A. बुद्धिमान

प्रश्न 3.
फ्रांसीसी लेखक का नाम क्या था?
A. आंद्री गीद
B. क्लिन्टन
C. बुकरम्
D. अल्सटन
उत्तर :
A. आंद्री गीद

प्रश्न 4.
हर आदमी किसका अंश है?
A. पूर्ण संग्रह का
B. पंचतत्त्व का
C. परमात्मा का
D. प्रकृति का
उत्तर :
A. पूर्ण संग्रह का

व्याकरण

निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. सदा – ………….
  2. बुद्धिमान – ………….
  3. चेहरा – ………….
  4. मनुष्य – ………….
  5. सूरज – ………….
  6. हाथ – ………….
  7. विकट – ………….
  8. दुनिया – ………….
  9. जरूरत – ………….
  10. जायदाद – ………….
  11. मगर – ………….
  12. चाँद – ………….
  13. लहर – ………….
  14. दरिया – ………….
  15. मस्तक – ………….
  16. दृष्टि – ………….
  17. गुत्थी – ………….
  18. उत्तरदायित्व – ………….
  19. वृक्ष – ………….
  20. शीशा – ………….

उत्तर :

  1. सदा – हमेशा
  2. बुद्धिमान – अक्लमंद
  3. चेहरा – वदन
  4. मनुष्य – मानव
  5. सूरज – दिवाकर
  6. हाथ – बाहु
  7. विकट – कठिन
  8. दुनिया – संसार
  9. जरूरत – आवश्यकता
  10. जायदाद – संपत्ति
  11. मगर – लेकिन
  12. चाँद – शशी
  13. लहर – तरंग
  14. दरिया – सागर
  15. मस्तक – ललाट
  16. दृष्टि – नजर
  17. गुत्थी – उलझन
  18. उत्तरदायित्व – जिम्मेदारी
  19. वक्ष – छाती
  20. शीशा – कांच

निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. जीवन × ………..
  2. खुशी × ………..
  3. मुश्किल × ………..
  4. प्राचीन × ………..
  5. छाया × ………..
  6. समस्या × ………..
  7. बहुत × ………..
  8. खिलना × ………..
  9. सीमित × ………..

उत्तर :

  1. जीवन × मृत्यु
  2. खुशी × गम
  3. मुश्किल × आसान
  4. प्राचीन × अर्वाचीन
  5. छाया × धूप
  6. समस्या × समाधान
  7. बहुत × कम
  8. खिलना × मुरझाना
  9. सीमित × असीमित

निम्नलिखित संधि को छोड़िए :

प्रश्न 1.

  1. संग्रह = ……….
  2. स्वच्छ = ……….
  3. संसार = ……….
  4. सदाचार = ……….

उत्तर :

  1. संग्रह = सम् + ग्रह
  2. स्वच्छ = सु + अच्छ
  3. संसार = सम् + सार
  4. सदाचार = सत् + आचार

निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. अधिक कठिन
  2. चीन देश से संबंधित
  3. जिसमें बुद्धि है वह
  4. जो अपने पर बीती है
  5. ऐसा घर जिसकी दीवार पर शीशे जड़े हों
  6. जिसका नीति से संबंध हो
  7. व्यक्ति से जुड़ा हुआ
  8. जो व्यापक न हो
  9. अच्छे आचरणवाला
  10. देवताओं का शिल्पी
  11. सभी ग्रहों का पिता
  12. जल्दी न सुलझनेवाली उलझन
  13. एकसाथ इकट्ठा की गई वस्तुएँ
  14. गिनी न जा सकनेवाली

उत्तर :

  1. विकट
  2. चीनी
  3. बुद्धिमान
  4. आपबीती
  5. शीशाघर
  6. नैतिक
  7. व्यक्तिगत
  8. सीमित
  9. सदाचारी
  10. विश्वकर्मा
  11. सूरज
  12. गुत्थी
  13. संग्रह
  14. अनगिनत

निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. जीना
  2. हसना
  3. मरना
  4. ज्यादा
  5. बुद्धिमान
  6. अपना
  7. खुद
  8. सुलझना
  9. सजना
  10. निखरता
  11. चमकना

उत्तर :

  1. जीना – जीवन
  2. हंसना – हंसी
  3. मरना – मृत्यु
  4. ज्यादा – ज्यादती
  5. बुद्धिमान – बुद्धिमता
  6. अपना – अपनत्व
  7. खुद – खुदी
  8. सुलझना – सुलझन
  9. सजना – सजावट
  10. निखरता – निखार
  11. चमकना – चमक

निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :

प्रश्न 1.

  1. कला – ……………
  2. हंसी – ……………
  3. लेख – ……………
  4. उत्पन्न – ……………
  5. खोज – ……………
  6. चित्र – ……………

उत्तर :

  1. कला – कलाकार
  2. हंसी – हंसोड
  3. लेख – लेखक
  4. उत्पन्न – उत्पादक
  5. खोज – खोजी
  6. चित्र – चित्रकार

निम्नलिखित शब्दों की विशेषण संज्ञा लिखिए :

प्रश्न 1.

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  1. स्थान
  2. खुशी
  3. सीमा
  4. व्यक्ति
  5. प्रकाश
  6. चमक

उत्तर :

  1. स्थानिक
  2. खुशहाल
  3. सीमित
  4. व्यक्तिगत
  5. प्रकाशित
  6. चमकीला

निम्नलिखित समास को पहचानिए :

प्रश्न 1.

  1. यथाशक्ति
  2. बुझ-दिल
  3. अनगिनत
  4. सोच-विचार
  5. सदाचार
  6. नवग्रह
  7. आपबीती
  8. हंसी-खुशी
  9. सुख-दुःख
  10. रूप-सभा

उत्तर :

  1. अव्ययीभाव
  2. बहुव्रीहि
  3. बहुव्रीहि
  4. द्वन्द्र
  5. कर्मधारय
  6. द्विगु
  7. तत्पुरुष
  8. द्वन्द्व
  9. द्वन्द्र
  10. तत्पुरुष

जीने की कला Summary in Hindi

विषय-प्रवेश :

जीवन का उद्देश्य आनंद प्राप्त करना होता है, पर हमारे धर्म, दर्शन तथा अध्यात्म की फिलासफी ने मनुष्य को गंभीर और कृत्रिम बना दिया है। प्रस्तुत पाठ में बताया गया है कि, मनुष्य को जीवन जीने की कला से परिचित होना चाहिए। उसे चाहिए कि वह जीवन को भलीभांति जिए, हमेशा खुश रहें, खुद उदास न हो न दूसरों को उदास करें तथा हंसी-खुशी में जीवन काट दें।

पाठ का सार :

जीने की कला : लोग सदा जीवन को बड़े-बड़े कामों में लगाने के बारे में सोचते हैं। लेकिन वे यह नहीं सोचते कि सबसे बड़ा काम खुद जीना है। सबसे सरल काम मर जाना है, पर जीना सबसे मुश्किल काम है। जीने की कला जीवन को हंसी-खुशी में काट देना है।

चीनी दृष्टिकोण : लेखक के अनुसार प्राचीन चीनियों ने जीवन की समस्या को सही ढंग से समझा था। उनके अनुसार ‘दुनिया में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति वह है, जो सबसे अधिक खुश रहता है।’

हर स्थिति में रहें प्रसन्न : लेखक का मत है कि मनुष्य को हर स्थिति में प्रसन्न रहना चाहिए। प्रसन्न रहने की कला सीख लेने पर अन्य किसी भी कला को सीखने की आवश्यकता नहीं होती। वे फ़ांसीसी लेखक आंदो गीद (Andre Gide) के कथन का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि खुश रहना मनुष्य की जरूरत ही नहीं है, बल्कि यह उसका नैतिक उत्तरदायित्व है। हमारे सुख-दुःख की छूत दूसरों को भी लगती है। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि न हम उदास हों और न दूसरों को उदास करें।

जीवन शीशाघर : जीवन एक शीशाघर के समान है। हर प्रसन्न या उदास चेहरे का प्रतिबिंब एक समय में सैकड़ों आईनों पर पड़ता है। जैसे समुद्र में उठनेवाली एक लहर से हजारों लहरें बन जाती हैं। हम खुश रहकर हजारों लोगों को खुश करते हैं और दूसरों को खुश देखकर हम खुद खुश होते हैं। यदि हमारे चारों ओर उदास चेहरे हों, तो हमारी अपनी खुशी भी हमें खुश नहीं कर सकती।

एक अजीब चीज : धर्म, फिलासफी और सदाचार ने जीवन की समस्या हल करने की कोशिश की थी, पर खुद उन्हीं पर उल्टा असर हो गया। इसलिए उन पर ‘बुझे दिल और सूखे चेहरेवाले इन्सान’ की छाप लग गई। लोग यह समझने लगे कि जो व्यक्ति जितना ज्यादा बुझा दिल और सूखा चेहरा लेकर फिरता है, वह उतना ही ज्यादा धार्मिक, फिलासफर और सदाचारी है।

प्राकृतिक सौंदर्य में स्थान नहीं : जहां सूर्य का चमकता हुआ मस्तक, हसता हुआ चंद्रमा, झिलमिलाते हुए नारे, वृक्षों की हरियाली, पक्षियों का कलरव, बहते पानी की तरंगें तथा खिलते हुए फूलों की शोभा बिखरी हो, वहाँ बुझे हुए दिल और सूखे हुए चेहरों के साथ कोई भी व्यक्ति स्थान नहीं पा सकता। ये सारी वस्तुएं मनुष्य को प्रसन्नता प्रदान करने के साधन हैं।

जीने की कला शब्दार्थ :

  • विकट – मुश्किल।
  • गुत्थी – उलझन, समस्या।
  • आपबीती – अपने ऊपर बीती हुई बात।
  • उत्तरदायित्व – जिम्मेदारी।
  • शीशाघर – ऐसा घर जिसमें दीवारों पर शीशे जड़ें हों।
  • प्रतिबिंब – परछाई, प्रतिछाया।
  • जायदाद – सम्पत्ति।
  • दरिया – समुद्र।
  • अनगिनत – बे-हिसाब, अगणित।
  • अजीब – अद्भुत, अनोखा।
  • फिलासफी – दर्शनशास्त्र।
  • सदाचार – अच्छा चाल-चलन।
  • अनिवार्य – अटल।
  • झिलमिलाती – टिमटिमाती, चमकती, प्रकाशित।
  • तरंगें – लहरें।
  • बुङ्गो हुए – मुरझाए हुए।
  • वक्ष – छाती।
  • दमकता – चमकता।
  • चांदनी – चाँद की रोशनी।
  • निखरना – निर्मल होना।

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