स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बिस्मिल की माताजी का सबसे बड़ा आदेश क्या था ?
उत्तर :
बिस्मिल की माताजी का सबसे बड़ा आदेश था कि बिस्मिल के द्वारा किसी की प्राणहानि न हो।
प्रश्न 2.
बिस्मिल की एक मात्र इच्छा क्या थी ?
उत्तर :
बिस्मिल की एकमात्र इच्छा एक बार श्रद्धापूर्वक अपनी माँ के चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बनाने की थी।
प्रश्न 3.
बिस्मिल ने वकालत नामे में हस्ताक्षर क्यों नहीं किए ?
उत्तर :
वकील साहब ने बिस्मिल को वकालतनामे में उनके पिताजी के हस्ताक्षर करने के लिए कहा तो यह काम उन्हें धर्मविरुद्ध लगा। इसलिए उन्होंने वकालतनामे में दस्तखत नहीं किए।
प्रश्न 4.
बिस्मिल की माताजी के विचार पहले की अपेक्षा अधिक उदार कब हो गए थे ?
उत्तर :
बिस्मिल की माताजी ने जब पढ़ना-लिखना सीख लिया था और वे देवनागरी पुस्तकें पढ़ने लगी, तब उनके विचार पहले की अपेक्षा अधिक उदार हो गए।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बिस्मिल को अपनी एकमात्र इच्छा क्यों पूरी होती दिखाई नहीं दे रही थी ?
उत्तर :
बिस्मिल की एकमात्र इच्छा थी एक बार अपनी माँ के चरणों की श्रद्धापूर्वक सेवा करके अपने जीवन को सफल बनाना। पर उनकी यह इच्छा पूरी होती नहीं दिखाई दे रही थी, क्योंकि उन्हें फांसी की सजा हुई थी और वे जेल में थे।
प्रश्न 2.
अंतिम समय के लिए बिस्मिल अपनी माँ से क्या वर माँगते हैं ?
उत्तर :
अंतिम समय के लिए बिस्मिल अपनी माँ से यह वरदान मांगते हैं कि वे उन्हें ऐसा वर दे कि अंतिम समय भी उनका (बिस्मिल का) हृदय किसी प्रकार विचलित न हो और वे माँ के चरण-कमलों को प्रणाम कर परमात्मा का स्मरण करते हुए शरीर त्याग कर सकें।
प्रश्न 3.
गुरु गोबिन्द सिंह की पत्नी ने अपने पुत्रों के बलिदान पर मिठाई क्यों बाँटी ?
उत्तर :
गुरु गोविंदसिंहजी के पुत्रों ने गुरु के नाम पर धर्म की : रक्षा करते हुए अपने प्राण त्यागे थे। जब गुरु गोविंद सिंहजी की पत्नी ने यह खबर सुनी तो उनका सिर गर्व से ऊंचा हो गया और उन्होंने इस खुशी में लोगों में मिठाई बांटी।
प्रश्न 4.
बिस्मिल की माँ ने शिक्षा प्राप्त करने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए ?
उत्तर :
बिस्मिल की माँ पहले पढ़ी-लिखी नहीं थी। बिस्मिल के जन्म के पांच-सात साल बाद उन्होंने हिन्दी पढ़ना शुरू किया था। मुहल्ले की अपने घर पर आनेवाली शिक्षित सखी-सहेलियों से वे अक्षर-बोध करती थीं। घर के काम-काज से जो समय मिल जाता, उसी में उनका पढ़ना-लिखना होता था। इस तरह अपने परिश्रम के बल पर थोड़े दिनों में ही वे देवनागरी पुस्तकों का अध्ययन करने लगी थीं।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बिस्मिल की आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक उन्नति में उनकी माँ का क्या योगदान रहा ?
उत्तर :
बिस्मिल आरंभ में बड़े धृष्ट बालक थे। पिता और दादी से उनकी कभी नहीं बनती थी। उनमें संस्कार भरे तो उनकी मां ने। माँ : के उपदेश बिस्मिल के लिए देववाणी के समान थे। माँ ने ही उनमें दया और सेवा की भावना जगाई। मां के प्रोत्साहन से ही बिस्मिल में धर्म : के प्रति रुचि उत्पन्न हुई।
कभी स्नेह से और कभी हल्की ताड़ना से मा ने उनमें तरह-तरह के सुधार किए। मां ने पुत्र को आर्यसमाज में प्रवेश करने का समर्थन किया। इतना ही नहीं समाजसेवा की समितियों में भी पुत्र को कार्य करने की प्रेरणा दी। लखनऊ काँग्रेस में शामिल होने के लिए माँ ने बिस्मिल को खर्च दिया। इस प्रकार यह कहने में जरा भी अतिशयोक्ति नहीं कि बिस्मिल को बिस्मिल उनकी माँ ने बनाया। माँ के कारण ही बिस्मिल की आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक उन्नति में गणना हो सकी।
प्रश्न 2.
बिस्मिल की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ?
उत्तर :
श्री रामप्रसाद बिस्मिल में आरंभ से ही कुछ असाधारण गुण थे। वे सत्य के प्रेमी थे। इस गुण ने उन्हें दृढ़ सिद्धांतवादी बना दिया था। जो वस्तु धर्मविरुद्ध हो, उसे वे कभी स्वीकार न करते थे। मुकदमा खारिज हो जाने की उन्होंने परवाह नहीं की, पर वकालतनामे पर पिता के हस्ताक्षर नहीं किए। वे आर्यसमाज की विचारधारा को मानते थे और अपनी माँ और गुरु सोमदेव के सिवाय किसी को महत्त्व नहीं देते थे।
साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फंसकर जीना उन्हें पसंद न था। उन्हें किसी भी प्रकार के भोग-विलास तथा ऐश्वर्य की इच्छा नहीं थी। उन्हें देशसेवा की लगन थी। जिस तरह उन्हें अपनी जन्मदात्री माँ से अगाध प्रेम था, उसी तरह वे भारतमाता के चरणों की भी सेवा करना चाहते थे। अंत में भारतमाता की सेवा करने में उन्होंने अपने प्राणों की बलि दे दी।
प्रश्न 3.
आपको बिस्मिल की माता के किन गुणों ने सबसे अधिक प्रभावित किया और क्यों ?
उत्तर :
बिस्मिल की मां विवाह के समय ग्यारह वर्ष की एक अनपढ़ कन्या थीं। समय बीतने पर घर-गृहस्थी का भार सुचारु रूप से वहन करते हुए उनमें पड़ने का स्वतः शौक जागा। सखी-सहेलियों से अक्षरज्ञान पाकर श्रम और अभ्यास करके कुछ ही समय में देवनागरी पुस्तकें पढ़ने लगी। अध्ययन से उनमें तेजस्वी विचार उत्पन्न हुए। देश और समाज के प्रति उनमें सोच उत्पन्न हुई। माँ ने बड़े प्रेम से और दृढ़ता से पुत्र के जीवन का सुधार किया। मां के कारण ही बिस्मिल देशसेवा में संलग्न हो सका।
माँ ने ही पुत्र बिस्मिल के धार्मिक जीवन में भी सहायता की। पुत्र को आर्यसमाज में जाने का समर्थन किया। माँ के कारण ही बिस्मिल में साहस का भाव जागा। यह माँ की प्रभावशाली शिक्षा का ही परिणाम था कि बिस्मिल न केवल अपनी जन्मदात्री मां का बल्कि भारतमाता का महान पुत्र बन सका। सचमुच, बिस्मिल की माँ एक आदर्श माँ थी। उनके ये दुर्लभ गुण हमें प्रभावित किए बिना नहीं रहते।
4. निम्नलिखित शब्दों के विरुद्धार्थी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- विरोध × …………..
- खर्च × …………..
- आरंभ × …………..
- उत्साह × …………..
- सद्व्यवहार × …………..
- उत्तर × …………..
उत्तर :
- विरोध × समर्थन
- खर्च × आमदनी
- आरंभ × अंत
- उत्साह × अनुत्साह
- सद्व्यवहार × दुर्व्यवहार
- उत्तर × प्रश्न
5. निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- माँ – …………..
- संकट – …………..
- सत्य – …………..
- ऋण – …………..
- परमात्मा – …………..
उत्तर :
- माँ – जननी
- संकट – दुःख
- सत्य – सच
- ऋण – कर्ज
- परमात्मा – ईश्वर
6. अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार बताइए :
प्रश्न 1.
- मैं बड़े उत्साह के साथ सेवा समिति में सहयोग देता था ।
- अब मैं तुमसे नहीं मिल सकूँगा ।।
- परमात्मा जन्म-जन्मान्तर ऐसी ही माता दे ।
- क्या मैं कभी तुम्हारा कर्ज चुका सकूँगा ।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में लिखिए :
प्रश्न 1.
बिस्मिल किसकी दया से देशसेवा में संलग्न हो सके?
उत्तर :
बिस्मिल अपनी माताजी की दया से देशसेवा में संलग्न हो सके।
प्रश्न 2.
बिस्मिल को किस बात का विश्वास था?
उत्तर :
बिस्मिल को विश्वास था कि इतिहास में उनकी मां के नाम का उल्लेख होगा।
प्रश्न 3.
बिस्मिल की मां ने क्या पढ़ना शुरू किया?
उत्तर :
बिस्मिल की मां ने देवनागरी पढ़ना शुरू किया। .
प्रश्न 4.
धर्म की रक्षा करते हुए किसने प्राण त्यागे?
उत्तर :
धर्म की रक्षा करते हुए गुरु गोविंदसिंह के पुत्रों ने प्राण त्यागे।
सही वाक्यांश चुनकर निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए:
प्रश्न 1.
रामप्रसाद बिस्मिल ने वकालतनामे पर पिताजी के हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि …
(अ) उससे उन्हें कोई लाभ नहीं था।
(ब) उनकी दृष्टि से वह धर्मविरुद्ध था।
(क) उन्हें सेवा-समिति में जाने की जल्दी थी।
उत्तर :
रामप्रसाद बिस्मिल ने वकालतनामे पर पिताजी के हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि उनकी दृष्टि से वह धर्मविरुद्ध था।
प्रश्न 2.
बिस्मिल को माताजी का सबसे बड़ा आदेश था कि …
(अ) उनके द्वारा किसी की प्राणहानि न हो।
(ब) देश के लिए प्राण दे देना।
(क) स्वतंत्रता के लिए कुछ करें।
उत्तर :
बिस्मिल को माताजी का सबसे बड़ा आदेश था कि उनके द्वारा किसी की प्राणहानि न हो।
प्रश्न 3.
रामप्रसाद बिस्मिल को इस बात का दुःख था कि उन्हें …
(अ) अपनी माँ की सेवा का अवसर नहीं मिलेगा।
(ब) माँ का प्यार नहीं मिला।
(क) अपनी माँ से दूर रहना पड़ता था।
उत्तर :
रामप्रसाद बिस्मिल को इस बात का दुःख था कि उन्हें अपनी माँ की सेवा का अवसर नहीं मिलेगा।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
प्रश्न 1.
- सेवा-समिति का आरंभ ……….. में हुआ। (बिहार, शाहजहाँपुर)
- रामप्रसाद बिस्मिल के गुरु का नाम ……….. था।। (श्री रामदेव, श्री सोमदेव)
- बिस्मिल ने अपनी माँ की तुलना ……….. की माता से की हैं। (मेजिनी, सरोजिनी)
- पुत्रों के बलिदान पर गुरु गोविंदसिंह की पत्नी ने ……….. बाँटी थी। (दियाँ, मिठाई)
- बिस्मिल की मां ने लिखना-पढ़ना अपनी ……….. से सीखा। (सखी-सहेलियों, माता)
- बिस्मिल ……….. वस्तु का स्वीकार नहीं करते थे। (धर्मविरुद्ध, देशविरुद्ध)
- बिस्मिल मां के चरणों को प्रणाम करके तथा ……….. का स्मरण करके शरीर त्याग करना चाहते थे। (गुरुदेव, परमात्मा)
- बिस्मिल की माँ ……….. पुस्तकों का अध्ययन करने लगी थी। (अंग्रेजी, देवनागरी)
उत्तर :
- शाहजहांपुर
- श्री सोमदेव
- मेजिनी
- मिठाई
- सखी-सहेलियों
- धर्मविरुद्ध
- परमात्मा
- देवनागरी
निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
बिस्मिल की मां ने क्या पढ़ना शुरू किया?
A. संस्कृत साहित्य
B. हिन्दी साहित्य
C. देवनागरी
D. देववाणी
उत्तर :
C. देवनागरी
प्रश्न 2.
बिस्मिल के लिए देववाणी क्या थी?
A. मां का नाम
B. माँ का जीवन
C. माँ का इतिहास
D. माँ का उपदेश
उत्तर :
D. माँ का उपदेश
प्रश्न 3.
वकील साहब ने बिस्मिल को किनके नाम के दस्तखत करने को कहा?
A. दादाजी के
B. पिताजी के
C. माताजी के
D. नानाजी के
उत्तर :
B. पिताजी के
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- आरंभ – ………..
- उत्साह – ………..
- सहयोग – ………..
- दंड – ………..
- कृपा – ………..
- तुरंत – ………..
- अशिक्षित – ………..
- शत्रु – ………..
- परिणाम – ………..
- अनुरोध – ………..
- संकल्प – ………..
- आचरण – ………..
- नितांत – ………..
- वार्तालाप – ………..
- अवसर – ………..
- उन्नति – ………..
- प्रतिज्ञा – ………..
- विचलित – ………..
- सांत्वना – ………..
उत्तर :
- आरंभ – प्रारंभ
- उत्साह – उमंग
- सहयोग – साथ
- दंड – सजा
- कृपा – दया
- तुरंत – फौरन
- अशिक्षित – अनपढ़
- शत्रु – अरि
- परिणाम – फल
- अनुरोध – आग्रह
- संकल्प – प्रतिज्ञा
- आचरण – व्यवहार
- नितांत – बिलकुल
- वार्तालाप – बातचीत
- अवसर – मौका
- उन्नति – विकास
- प्रतिज्ञा – प्रण
- विचलित – अस्थिर
- सांत्वना – तसल्ली
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- इच्छा × ……………..
- उचित × ……………..
- जन्म × ……………..
- ऋणी × ……………..
- स्मरण × ……………..
- फटकार × ……………..
- उत्पन्न × ……………..
- परिश्रमी × ……………..
- उदार × ……………..
- उन्नति × ……………..
- कलंकित × ……………..
- स्नेह × ……………..
उत्तर :
- इच्छा × अनिच्छा
- उचित × अनुचित
- जन्म × मृत्यु
- ऋणी × उऋण
- स्मरण × विस्मरण
- फटकार × दुलार
- उत्पन्न × विपन्न
- परिश्रमी × आलसी
- उदार × अनुदार
- उन्नति × अवनति
- कलंकित × निष्कलंक
- स्नेह × घृणा
निम्नलिखित संधि को छोड़िए:
प्रश्न 1.
- प्रोत्साहन
- सव्यवहार
- सदिच्छा
- अपेक्षा
- शिक्षादि
- यथोचित
- दुस्साहसी
- निरीक्षण
- उल्लास
- अध्ययन
- महोत्सव
- रक्षार्थं
उत्तर :
- प्रोत्साहन = प्र + उत्साहन
- सद्व्यवहार = सत् + व्यवहार
- सदिच्छा – सत् + इच्छा
- अपेक्षा = अप + इक्षा
- शिक्षादि = शिक्षा + आदि
- यथोचित = यथा + उचित
- दुस्साहसी = दुः+ साहसी
- निरीक्षण = निः + ईक्षण
- उल्लास = उत् + लास
- अध्ययन = अधि + अयन
- महोत्सव = महा + उत्सव
- रक्षार्थ = रक्षा + अर्थ
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- दृढ़ निश्चय
- किसी मुकदमे में वकील होने का प्रमाणपत्र
- घर का काम-काज
- गुजारा करना
- जिसका वर्णन न किया जा सके
- मारने-पिटने की क्रिया
- जीवन अर्पित करना
- अच्छा व्यवहार
- साथ मिलकर काम करना
- व्यवस्था में भारी उलट-फेर कर देनेवाला
उत्तर :
- संकल्प
- वकालतनामा
- गृहकार्य
- निर्वाह
- अवर्णनीय
- ताड़ना
- बलिदान
- सद्व्यवहार
- सहयोग
- क्रांतिकारी
5. निम्नलिखित मुहावरे का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
कोख कलंकित करना-कुल को बदनाम करना वाक्य-बेटे ने चोरी करके माँ की कोख को कलंकित किया।
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- अच्छा – ………..
- माता – ………..
- पिता – ………..
- उचित – ………..
- उत्पन्न – ………..
- वकील – ………..
- पड़ना – ………..
- शत्रु – ………..
- दृढ – ………..
- झुकना – ………..
- गुरु – ………..
- मिठाई – ………..
- बाँटना – ………..
- विशेष – ………..
उत्तर :
- अच्छा – अच्छाई
- माता – मातृत्व
- पिता – पितृत्व
- उचित – औचित्य
- उत्पन्न – उत्पत्ति
- वकील – वकालत
- पढ़ना – पढ़ाई
- शत्रु – शत्रुता
- दृढ़ – दृढ़ता
- झुकना – झुकाव
- गुरु – गुरुत्व
- मिठाई – मिठास
- बॉटना – बंटवारा
- विशेष – विशेषता
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- सेवा – ………..
- सहयोग – ………..
- शिक्षा – ………..
- प्रोत्साहन – ………..
- पाप – ………..
- प्रबंध – ………..
- अध्ययन – ………..
- विचार – ………..
- क्रांति – ………..
- सुधार – ………..
- उपदेश – ………..
- पालन – ………..
- इतिहास – ………..
- रक्षा – ………..
उत्तर :
- सेवा – सेवक
- सहयोग – सहयोगी
- शिक्षा – शिक्षक
- प्रोत्साहन – प्रोत्साहक
- पाप – पापी
- प्रबंध – प्रबंधक
- अध्ययन – अध्येता
- विचार – विचारक
- क्रांति – क्रांतिकारी
- सुधार – सुधारक
- उपदेश- उपदेशक
- पालन – पालक
- इतिहास – इतिहासकार
- रक्षा – रक्षक
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- सेवा-समिति
- डॉट-फटकार
- धर्मविरुद्ध
- सखी-सहेली
- आजीवन
- अक्षर-बोध
- प्राणहानि
- आर्यसमाज
- संसार-चक्र
- प्राणदंड
उत्तर :
- तत्पुरुष
- द्वन्द्व
- तत्पुरुष
- द्वन्द्व
- अव्ययीभाव
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- तत्पुरुष
- कर्मधारय
- तत्पुरुष
मेरी माँ Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
बालक के पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा एवं व्यक्तित्व-निर्माण में माँ का बहुत योगदान होता है। माँ के उपकारों से उऋण होना बहुत मुश्किल है। प्रस्तुत संस्मरण में प्रसिद्ध क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल ने अपने चरित्र-निर्माण में अपनी माँ के योगदान का भावभीना वर्णन करते हुए अपनी असमर्थता के कारण श्रद्धापूर्वक अपनी माँ के चरणों की सेवा करने की अपनी इच्छा पूर्ण न हो पाने का दुःख व्यक्त किया है।
पाठ का सार :
बिस्मिल की मां : बिस्मिल की मां ग्यारह वर्ष की नाजुक आयु में विवाह कर उनके गांव शाहजहाँपुर आई थीं। उस समय तक उन्हें गृहकार्य की भी जानकारी नहीं थी। बिस्मिल की दादी ने अपनी छोटी बहन को बुलाकर उन्हें गृहकार्य की शिक्षा दिलाई थी।
मां की शिक्षा : विस्मिल की मां पढ़ी-लिखी नहीं थीं। बिस्मिल के जन्म के पांच-सात वर्ष बाद उन्होंने अपने घर आनेवाली शिक्षित सखी-सहेलियों से अक्षर पढ़ना-लिखना सीखा था। अपने परिश्रम के बल पर कुछ दिनों में ही वो देवनागरी पुस्तकें पड़ने लगी थीं।
लखनऊ काँग्रेस : लखनऊ कांग्रेस में जाने की बिस्मिल की बड़ी इच्छा थी। पर उनके दादीजी एवं पिताजी को यह पसंद नहीं था। फिर भी उनकी मां ने उन्हें खर्च देकर जाने दिया। इसी तरह शाहजहाँपुर सेवासमिति में भी वे सहयोग देते थे। पर पिताजी और दादोजी को यह अच्छा नहीं लगता था। उनकी माँ ने इस मामले में भी उनका साथ दिया था।
शिक्षा और विवाह : बिस्मिल के दादीजी एवं पिताजी बचपन में उनका विवाह करना चाहते थे, पर उनकी माताजी कहती कि शिक्षा पा चुकने के बाद ही विवाह करना उचित होगा। माँ के कारण ही उने शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल पाया था।
वकालतनामे की घटना : एक बार बिस्मिल के पिताजी दीवानी मुकदमे में किसी पर दावा करके वकील से कह गए थे कि जो काम हो बिस्मिल से करा लें। वकील ने उनसे वकालतनामे पर पिताजी के हस्ताक्षर करने के लिए कहा, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया।
मां का योगदान : बिस्मिल कहते हैं कि यदि उन्हें ऐसी माँ न मिली होती, तो उन्होंने भी अति सामान्य मनुष्यों की तरह संसार-चक्र में फैसकर जीवन बिता दिया होता। उनकी माँ ने शिक्षा आदि के अलावा क्रांतिकारी जीवन में भी मेजिनी की माता की तरह उनकी सहायता की।
जन्मदात्री का ऋण : बिस्मिल कहते हैं कि वे इस जन्म में ही नहीं अनेक जन्मों में प्रयत्न करने पर अपनी माँ से उऋण नहीं हो सकते। वे अपने जीवन को सुधारने, देशसेवा में संलग्न होने में सहयोग देने, धार्मिक जीवन में सहायता करने, शिक्षा प्राप्त करने में सहयोग देने आदि का श्रेय अपनी मां को देते हैं। वे अपनी मां का आभार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि उन्होंने उनका केवल पालन-पोषण ही नहीं किया, बल्कि उन्होंने उनकी आत्मिक, धार्मिक एवं सामाजिक उन्नति में सदा उनकी सहायता की।
केवल एक इच्छा शेष : बिस्मिल कहते हैं कि उनकी एक ऐसी इच्छा है, जो पूरी होती नहीं दिखाई देती। वह है श्रद्धापूर्वक अपनी माँ के चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बनाना। अब इसके बदले उन्हें उनकी मृत्यु की दुःखभरी खबर सुनाई जाएगी।
माँ से प्रार्थना : बिस्मिल अपनी माँ से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें ऐसा वरदान दें कि अंतिम समय में उनका हृदय किसी भी तरह से विचलित न हो और वे उनके (माँ के) चरणों को प्रणाम कर परमात्मा का स्मरण करते हुए शरीर त्याग सकें।
टिप्पणियाँ :
रामप्रसाद बिस्मिल : रामप्रसाद बिस्मिल महान क्रांतिकारी थे। देश को पराधीनता से मुक्त कराना उनका उद्देश्य था। वे एक अदम्य साहसी क्रांतिकारी थे। रामप्रसाद बिस्मिल को काकोरी कांड में फांसी की सजा हुई थी। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में काकोरी कांड क्रांतिकारी आंदोलन की अविस्मरणीय घटना है। रामप्रसाद बिस्मिल एवं उनके सहयोगियों को एक गुप्त सूचना मिली थी कि जर्मनी से पिस्तौलों की खेव आ रही है, तो इन लोगों ने उत्तर प्रदेश के हरदोई और लखनऊ के बीच काकोरी नामक छोटे से स्टेशन पर इस सरकारी खजाने को लूटने का कार्यक्रम बनाया था। यह घटना काकोरी कांड के नाम से प्रसिद्ध है।
मेजिनी : मेजिनी का जन्म सन् 1805 में इटली में हुआ था। वे लोकतंत्र के प्रबल समर्थक, प्रखर देशभक्त तथा एक सक्रिय और निर्भीक नेता थे। अनेक भागों में बंटे इटली को एक करने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। वे ऑस्ट्रियन शासन से इटली को मुक्त कराने – के लिए जीवनभर लड़ते रहे।
मेरी माँ शब्दार्थ :
- उत्साह – उमंग, हौसला।
- प्रोत्साहन – उत्साह बढ़ाना, हिम्मत दिलाना।
- सद्व्यवहार – अच्छा व्यवहार।
- दृढ़ता – मजबूती अपने इरादे पर जमे रहने का भाव।
- आपत्ति – संकट।
- संकल्प – दृढ़ निश्चय ।
- वकालतनामा – अदालत में पैरवी करने का अधिकारपत्र।
- धर्मविरुद्ध – धर्म के खिलाफ।
- कदापि – कभी भी।
- हस्ताक्षर – दस्तखत।
- आचरण – व्यवहार, बरताव।
- नितांत – बिलकुल, पूरी तरह।
- अशिक्षित – जो पढ़ा – लिखा न हो।
- गृहकार्य – घर के कार्य।
- वार्तालाप – बातचीत।
- अपेक्षा – तुलना में, बनिस्वत।
- संसार-चक्र – संसार रूपी चक्र।
- जीवननिर्वाह – जीवन जीना।
- क्रांतिकारी – किसी प्रकार की क्रांति चाहनेवाला।
- प्राणहानि – जान का नुकसान।
- प्रतिज्ञा – कुछ करने के बारे में पक्का निश्चय, प्रण।
- उत्राण – ऋण से मुक्त, ऋण से उद्धार होना।
- दृढ़ता – इरादे पर जमे रहने का भाव।
- तुच्छ – हीन, हेय, क्षुद्र।
- अवर्णनीय – जिसका वर्णन न हो सके।
- स्मरण – याद होना। श्रेय – यश।
- ताड़ना – कष्ट पहुंचाना।
- धष्टतापूर्ण – उठाईपूर्वक, दुस्साहसपूर्ण।
- जीवनदात्री – जीवन देनेवाली।
- आत्मिक – आत्मा से संबंधित।
- धार्मिक – धर्मसंबंधी।
- जन्म-जन्मांतर – अनेक जन्मों तक।
- अधीर – घबराया हुआ, व्याकुल।
- सांत्वना-दुःखी व्यक्ति को धीरज दिलाना।
- श्रद्धापूर्वक – आदरपूर्वक।
- धैर्य – धीरज।
- कोख – उदर, पेट।
- कलंकित-जिस पर कलंक लगा हो।
- रक्षार्थ – रक्षा के लिए।
- विचलित – डिगा हुआ, चंचल।
