कुत्ते की सीख Textbook Questions and Answers
स्वाध्याय
1. निम्नलिखित प्रश्नों के नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए।
प्रश्न 1.
सबकी नजर बचाकर खरहा कहाँ रहता था ?
(अ) अपने बिल में
(ब) झाड़ के तने में
(क) झाड़ी में
(ड) जंगल में
उत्तर :
(क) झाड़ी में
प्रश्न 2.
खरहा क्यों भागा ?
(अ) शिकारी कुत्ता पीछे पड़ा था ।
(ब) खाना खत्म हो गया था उसकी तलाश में ।
(क) लोमड़ी उसके पीछे भाग रही थी।
(ड) जंगल में आग लगी थी ।
उत्तर :
(अ) शिकारी कुत्ता पीछे पड़ा था ।
प्रश्न 3.
कुत्ता खारहे को क्यों न पकड़ पाया ?
(अ) कत्ता खरहे के लिए भाग रहा था ।
(ब) खरहा अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था ।
(क) कुत्ते में खरहे को पकड़ ने की शक्ति न थी ।
(ड) खरहा बड़ा चालाक था ।
उत्तर :
(ब) खरहा अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के एक-एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
खरहा कहाँ रहता था ?
उत्तर :
एक वन में एक स्थान पर पास-पास घनी झाड़ियाँ थीं, खरहा उनमें छिपकर रहता था।
प्रश्न 2.
खरहा नींद से क्यों जाग गया ?
उत्तर :
कुत्ते की साँस का स्वर सुनकर खरहा नींद से जाग गया।
प्रश्न 3.
कुत्ते और खरहे के बीच दौड़ कहाँ और कब तक चली ?
उत्तर :
कुत्ते और खरहे के बीच दौड़ वन में चार मिनट तक चली।
प्रश्न 4.
लोमड़ी क्या देख रही थी ?
उत्तर :
लोमड़ी खेत में कुत्ते को खरहे का पीछा करते हुए तथा खरहे का बीहड़ बन में छिप जाना और कुत्ते का इधर-उधर सूंघकर वापस जाना देख रही थी।
प्रश्न 5.
रोटी कमाने के विषय में शास्त्रों में क्या बताया है ? इस काव्य के आधार पर बताइए ?
उत्तर :
रोटी कमाने के विषय में शास्त्रों में बताया गया है कि अपनी जान बचाकर रोटी कमाना चाहिए, रोटी के लिए जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए ।
प्रश्न 1.
खरहा कहाँ और कैसे रहता था ?
उत्तर :
वन के भीतर एक घनी झुरमुट थी। खरहा उसी झुरमुट में रहता था। वह इस बात की सावधानी रखता था कि उस पर किसी की नजर न पड़े।
प्रश्न 2.
खरहा झाड़ी से क्यों भागा ?
उत्तर :
एक दिन वन में एक शिकारी कुत्ता आ गया। वह बन की झाड़ियों में संघ-संघकर अपना शिकार खोजता था। शिकार की खोज में सूंघता-सूंघता यह उस झाड़ी के पास पहुंचा, जिसमें खरहा रहता था। कुत्ते की साँस का स्वर सुनकर जब उसकी आँख खुली तो वह अपनी जान लेकर भागा।
प्रश्न 3.
कुत्ता निराश क्यों हो गया ?
उत्तर :
चार मिनट तक कुत्ता खरहे का पीछा करता रहा। अंत में सामने एक घनी कंटीली झाड़ी देखकर-खरहा छलांग लगाकर उसमें घुस गया। कुत्ते के लिए कंटीली झाड़ी में घुसना संभव नहीं था। इसलिए वह निराश हो गया।
प्रश्न 4.
इस घटना को देखनेवाली लोमड़ी ने कुत्ते से क्या कहा ?
उत्तर :
कुत्ता चार मिनट तक खुले खेत में खरहे का पीछा करता रहा, पर वह उसे पकड़ नहीं पाया। तभी सामने कटीली झाड़ी देखकर खरहा उसमें घुस गया। इस घटना को देखनेवाली लोमड़ी ने कुत्ते से कहा, “इतने मोटे-ताजे हो, फिर भी थक जाते हो और वन के जौबजंतुओं को भी नहीं पकड़ पाते।”
प्रश्न 5.
कुत्ते ने लोमड़ी को क्या उत्तर दिया ?
उत्तर :
लोमड़ी ने कुत्ते से कहा कि वह इतना मोटा-ताजा है, फिर भी थक जाता है और छोटे-छोटे जीव-जंतुओं को भी नहीं पकड़ पाता। यह सुनकर कुत्ते ने कहा, “यह बात नहीं है। वास्तव में मैं अपने भोजन के लिए दौड़ रहा था, पर खरहा अपनी जान बचाने के लिए अपनी सारी शक्ति लगाकर भाग रहा था। इसलिए मैं उसे नहीं पकड़ पाया।”
4. निम्नलिखित प्रश्नों के चार-पाँच वाक्यों में उत्तर लिखिए :
प्रश्न 1.
‘कुत्ते की सीख’ काव्य से क्या बोध मिलता है ?
उत्तर :
इस काव्य में एक शिकारी कुत्ता एक खरहे का पीछा करता है और खरहा अपनी जान बचाने के लिए भागता हुआ एक कैटौली झाड़ी में छिप जाता है और उसकी जान बच जाती है। इस काव्य से यह बोध मिलता है कि चाहे छोटा जीव हो या बड़ा, कमजोर हो या शक्तिशाली, जब उसके प्राणों पर बन आती है, तो उसमें अद्भुत शक्ति आ जाती है। व्यक्ति को संकट के समय अपनी सारी शक्ति लगाकर अपनी जान बचानी चाहिए।
प्रश्न 2.
“कुत्ते की सीख’ को कहानी के रूप में लिखें ।
उत्तर :
एक जंगल में एक घनी झुरमुट में एक खरगोश छिपकर रहता था। वह चुनकर नर्म-नर्म घास खाता था और किसी को देखता था, तो झाड़ी में छिप जाता था। एक बार जंगल में एक शिकारी कुत्ता आया। वह शिकार की खोज में झाड़ी-झाड़ी मूंघने लगा। वह सूघते-सूंघते उस झुरमुट के पास पहुंचा, जिसमें खरगोश रहता था। आहट पाते ही खरगोश भाग खड़ा हुआ। कुत्ता लगातार चार मिनट तक खुले खेत में उसका पीछा करता रहा, पर वह उसे पकड़ नहीं सका। तब तक सामने एक कटीली झाड़ी आई और खरगोश छलांग लगाकर उसमें छिप गया। ।
कुत्ता इधर-उधर सूंघकर निराश होकर वापस जाने लगा। एक लोमड़ी खड़ी-खड़ी यह सारी घटना देख रही थी। उसने कुत्ते से कहा, “मामा, तुम हार गए। तुम इतने मोटे ताजे हो, पर बन के छोटे-छोटे जीव-जंतुओं को भी नहीं पकड़ पाते।” कुत्ते ने लोमड़ी से कहा, “अरे पगली, तुम इस रहस्य को नहीं समझ सकती। मेरे और खरहे के दौड़ने में अंतर है। मैं उसके पीछे अपने भोजन के लिए दौड़ रहा था, जबकि खरहा अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था। कहा गया है कि कोई भी उद्यम करो तो जान बचाकर करो, पर संकट आने पर अपनी पूरी ताकत लगाकर अपनी जान बचाने की कोशिश करो।”
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए :
कहते हैं सब शास्त्र कमाओ, रोटी जान बचाकर,
पर संकट में प्राण बचाओ, सारी शक्ति लगाकर ।
उत्तर :
शास्त्रों में कहा गया है कि जान महत्त्वपूर्ण है। अपनी जीविका के लिए वही उद्यम करो, जिसमें जान पर कोई आंच न आए। पर जब जान पर संकट आ जाए, तो प्राण रक्षा के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दो। ऐसे अवसर पर शरीर में विशेष शक्ति आ जाती है।
6. निम्नलिखित के पर्यायवाची शब्द दीजिए :
प्रश्न 1.
- खरहा – ………..
- झुरमुट – ………..
- शिकारी – ………..
- कंटीली – ………..
- बीहड़ – ………..
- देह – ………..
- दीवानी – ………..
- शक्ति – ………..
उत्तर :
- खरहा – खरगोश
- झुरमुट – झाड़ी
- शिकारी – आखेटक
- कटीली – कोटेदार
- बीहड़ – भयावह
- देह – शरीर
- दीवानी – पगली
- शक्ति – जोर
7. निम्नलिखित के विरोधी शब्द दीजिए :
प्रश्न 1.
- दूर × ………
- आखिर × ………
- पीछे × ………
- निराश × ………
- मोटी × ………
- कमाना × ………
उत्तर :
- दूर × निकट
- आखिर × पहले
- पीछे × आगे
- निराश × आशावान
- मोटी × पतली
- कमाना × खरचना
कुत्ते की सीख Important Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में लिखिए :
प्रश्न 1.
रोटी कमाने के विषय में शास्त्रों में क्या बताया है? -‘कुत्ते की सीख’ काव्य के आधार पर बताइए।
उत्तर :
शास्त्रों ने कहा है कि अपनी जान बचाकर ही रोटी कमाना चाहिए। रोटी के लिए जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए। इस कथाकाव्य में भी कुत्ता और खरगोश के जरिए यही सीख दी गई है।
प्रश्न 2.
कुत्ते ने लोमड़ी को भेद की कौन-सी बात बताई?
उत्तर :
कुत्ते ने लोमड़ी को भेद की बात बताई कि वह अपने भोजन के लिए खरहे के पीछे दौड़ रहा था, लेकिन खरहा अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था। इसलिए वह अपनी जान पर खेलकर कंटीली झाड़ी में कूद गया और उसने अपनी जान बचा ली। पर मैं जान पर खेलकर कटीली झाड़ी में नहीं घुस सकता था।
सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए !
प्रश्न 1.
- खरहा ………….. झुरमुट में रहता था। (गहरे, घने)
- कुत्ते और खरहे की दौड़ ……….. मिनट तक जारी रही। (चार, पाँच)
- कुत्ते की …… सुनकर खरहा सोते से जागा। (आवाज, सांस)
- कुत्ते और खरहे की दौड़ …………. में जारी रही। (जंगल, खेत)
- लोमड़ी ने ……. कहकर कुत्ते को संबोधित किया। (चाचा, मामा)
- सब …………. जान बचाकर रोटी कमाने को सीख देते हैं। (शास्त्र, शस्त्र)
- संकट में प्राण बचाने के लिए सारी ………… लगा देनी चाहिए। (शक्ति, संपत्ति)
उत्तर :
- घने
- चार
- साँस
- खेत
- मामा
- शास्त्र
- शक्ति
व्याकरण
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- उमर – …………
- साँस – …………
- नाहक – …………
- लेकिन – …………
उत्तर:
- उमर – आयु
- सांस – श्वास
- नाहक – व्यर्थ
- लेकिन – परंतु
निम्नलिखित शब्दों के विरोधी शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- एक × ……….
- भौतर × ……….
- समझ × ……….
उत्तर :
- एक × अनेक
- भीतर × बाहर
- समझ × नासमझी
निम्नलिखित संधि को छोड़िए :
प्रश्न 1.
- निराशा
- पुरुषार्थ
- सूर्यास्त
उत्तर :
- निराशा = निः + आशा
- पुरुषार्थ = पुरुष + अर्थ
- सूर्यास्त = सूर्य + अस्त
निम्नलिखित शब्दसमूह के लिए एक शब्द लिखिए :
प्रश्न 1.
- शाखा का सिरा
- केटीले पौधों का समूह
- दौड़ने की प्रतियोगिता
- जोतने-बोने की जगह
- विवेचनात्मक ज्ञान विषयक ग्रंथ
- पाँच उंगलियों सहित हथेली का अगला भाग
- उछलकर कूदना
उत्तर :
- फुनगी
- झाड़ी
- दौड़
- खेत
- शास्त्र
- झुरमुट
- पंजा
- छलांग
निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- बचाना – ………..
- दूर – ………..
- छिपना – ………..
- शिकारी – ………..
- खैर – ………..
- निराश – ………..
- थकना – ………..
- चुनना – ………..
उत्तर :
- बचाना – बचाव
- दूर – दूरी
- छिपना – छिपाय
- शिकारी – शिकार
- खैर – खैरियत
- निराश – निराशा
- थकना – थकावट
- चुनना – चुनाव
निम्नलिखित शब्दों की कर्तृवाचक संज्ञा लिखिए :
प्रश्न 1.
- घास – ………..
- देखना – ………..
- शिकार – ………..
- कमाना – ………..
- बचाना – ………..
- खाना – ………..
- शास्त्र – ………..
उत्तर :
- घास – घसियारा
- देखना – दृष्टा
- शिकार – शिकारी
- कमाना – कमाऊ
- बचाना – बचवैया
- खाना-खवैया
- शास्त्र – शास्त्रकार
निम्नलिखित समास को पहचानिए :
प्रश्न 1.
- जीव-जंतु
- निराश
उत्तर :
- कर्मधारय
- बहुव्रीहि
कुत्ते की सीख Summary in Hindi
विषय-प्रवेश :
प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने यह बाल-कविता अत्यंत सरल शब्दों में लिखी है। इस काव्य-कथा में यह कहा गया है कि अपनी रोटी (जीविका) को कमाने के लिए अपनी जान को कभी संकट में नहीं डालना चाहिए. पर जान का संकट आने पर हर व्यक्ति को अपनी जान बचाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देनी चाहिए।
कविता का सार :
जंगल की घनी झाड़ियों में एक खरगोश रहता था। घास की कोमल पत्तियाँ खाकर वह झाड़ियों में छिप जाता था। एक दिन उस जंगल में एक शिकारी कुत्ता आया। वह झाड़ी को सूंघता हुआ खरगोश के पास पहुंच गया। लेकिन सामने मृत्यु को खड़ा देखकर खरगोश अपना पूरा जोर लगाकर भागा। वह काँटेदार घनी झाड़ी में छिप गया। कुत्ता निराश होकर लौट गया।
कुत्ता अपने भोजन के लिए दौड़ रहा था, जबकि खरगोश अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था। जान संकट में पड़ने पर हर व्यक्ति को अपनी पूरी ताकत लगा देनी चाहिए।
कविता का सरल अर्थ
- एक वन में एक स्थान पर पास-पास घनी झाड़ियों थीं। इसके अंदर एक खरगोश छिपकर रहा करता था ताकि वह किसी की नजर में न आए।
- वह फुदक-फुदककर घास की कोमल पत्तियाँ चुन-चुनकर खाता था। लोगों को दूर से देखकर वह झाड़ियों में छिप जाता था।
- एक दिन उस वन में एक शिकारी कुत्ता आ गया। वह जंगल के छोटे-मोटे जानवरों को खाने के लिए वहाँ की एक-एक झाड़ी को सूंघकर छानने लगा।
- कुत्ता अंत में उस झाड़ी के पास भी पहुंचा, जिसमें यह खरगोश रहता था। लेकिन कुशल यह हुआ कि बेचारे खरगोश की उस अभी लंबी थी।
- कुत्ते की सांस का स्वर सुनकर खरगोश सोते से जाग पड़ा। उसने देखा कि सामने उसका काल (मृत्यु) कुत्ता खड़ा है। वह झटपट तेजी से भाग खड़ा हुआ।
- कुत्ते ने भी अपने पंजे तानकर खरगोश का पीछा किया। पर खरगोश को पकड़ न पाने के कारण वह उसके पीछे-पीछे पूरा जोर लगाकर दौड़ने लगा।
- खरगोश के भागने और कुत्ते की उसे पकड़ने की कोशिश करने की यह दौड़ चार मिनट तक चलती रही। इतने में सामने एक काँटेदार घनी झाड़ी आ गई।
- तब तक खरगोश ने एक लंबी छलांग लगाई और वह उस घनी कंटीली झाड़ी में छिप गया। कुत्ते ने इधर-उधर सूंघा और अंत में निराश हो गया और लौट पड़ा।
- एक लोमड़ी किनारे खड़ी होकर यह दृश्य देख रही थी। उसने कुत्ते से कहा, “कुत्ते मामा! तुम खरगोश से हार गए!”
- उसने कहा, “तुम इतने मोटे-ताजे हो, फिर भी दौड़ते हुए थक जाते हो। तुम जंगल के इन छोटे-छोटे जीव-जंतुओं को भी नहीं पकड़ पाते।”
- कुत्ता यह सुनकर हँस पड़ा। उसने लोमड़ी से कहा, “अरी, पगली! तुम नाहक ऐसी बातें कहती हो। तुम रहस्य की बात नहीं समझ सकती।”
- कुते ने कहा, “अरे, मैं अपने भोजन के लिए खरगोश के पीछे दौड़ रहा था, जबकि खरगोश अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था।”
- सभी शास्त्रों का कहना है कि अपनी जान बचाकर ही रोटी कमाना चाहिए, अर्थात् अपने जीवन-निर्वाह के लिए अपनी जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए। पर जब जान पर बन आए, तो अपनी पूरी शक्ति लगाकर अपनी जान बचानी चाहिए।
ગુજરાતી ભાવાર્થ :
- એક જંગલમાં એક જગ્યાએ પાસ-પાસે ગીચ ઝાડી હતી. એમાં એક સસલું છુપાઈને રહેતું હતું, જેથી કોઈની નજરે ચઢે નહિ.
- તે કૂદકા ભરીને ઘાસનાં કોમળ પાંદડાં ચૂંટી-ઘૂંટીને ખાતું હતું. લોકોને દૂરથી જોઈને તે ઝાડીઓમાં છુપાઈ જતું હતું.
- એક દિવસ તે જંગલમાં એક શિકારી કૂતરો આવી પહોંચ્યો. તે જંગલનાં નાનાં-મોટાં જાનવરોને ખાઈ જવા માટે ત્યાંની એક-એક ઝાડીને સૂંઘીને શોધવા લાગ્યો.
- અંતે કૂતરો તે ઝાડીની પાસે પણ પહોંચ્યો, જેમાં સસલું રહેતું હતું. પરંતુ એટલું સારું થયું કે બિચારા સસલાનું આયુષ્ય હજી લાંબું હતું.
- કૂતરાના શ્વાસનો અવાજ સાંભળીને સસલું ઊંઘમાંથી જાગી ગયું. તેણે જોયું કે સામે તેનો કાળ કૂતરો ઊભો છે. તે ઝટપટ ભાગી નીકળ્યું.
- કૂતરાએ પણ પોતાના પંજા ફેલાવીને સસલાનો પીછો કર્યો. પરંતુ સસલાને પકડી ન શકવાથી તે તેની પાછળ પૂરેપૂરું જોર લંગાવીને દોડવા લાગ્યો.
- સસલાની ભાગવાની અને કૂતરાની તેને પકડવાની કોશિશની આ દોડ ચાર મિનિટ સુધી ચાલુ રહી. એટલામાં સામે એક કાંટાળી ગીચ ઝાડી આવી ગઈ.
- એટલી વારમાં સસલાએ એક લાંબી છલાંગ લગાવી અને તે ગીચ કાંટાળી ઝાડીમાં છુપાઈ ગયું. કૂતરો આમ-તેમ સૂંઘીને અંતે નિરાશ થઈ ગયો અને પાછો ફર્યો.
- એક શિયાળ કિનારે ઊભું રહીને આ દશ્ય જોઈ રહ્યું હતું. એણે કૂતરાને કહ્યું, “કૂતરામામા, તમે સસલાથી હારી ગયા.”
- તેણે કહ્યું, “તમે આટલા હૃષ્ટ-પુષ્ટ છો છતાં પણ દોડતાં દોડતાં થાકી જાઓ છો. તમે જંગલનાં આ નાનાં જીવ-જંતુઓને પણ પકડી શકતા નથી.”
- કૂતરો આ સાંભળીને હસી પડ્યો. તેણે શિયાળને કહ્યું, “અરે ગાંડી ! તું નકામી આવી વાતો કરે છે. તું રહસ્યની વાત સમજી શકતી નથી.”
- કૂતરાએ કહ્યું, “અરે, હું મારા ભોજન માટે સસલાની પાછળ દોડી રહ્યો હતો, પરંતુ સસલું પોતાનો જીવ બચાવવા ભાગી રહ્યું હતું.”
- બધાં શાસ્ત્રો કહે છે કે પોતાનો જીવ બચાવીને જ રોટી મેળવવી જોઈએ. અર્થાત્ પોતાના જીવન-નિર્વાહ માટે પોતાનો જીવ
- જોખમમાં ન મૂકવો જોઈએ. જ્યારે જીવનું જોખમ આવી પડે ત્યારે પોતાની પૂરેપૂરી શક્તિ એકત્ર કરીને પોતાનો જીવ બચાવવો જોઈએ.
कुत्ते की सीख शब्दार्थ:
- झुरमुट – पास-पास उगी झाड़ियाँ।
- खरहा – खरगोश।
- फुदकना – एक जगह से दूसरी जगह उछलते हुए चलना।
- फुनगी – घास की ऊपरवाली नर्म-नर्म पत्तियाँ।
- झाड़ी – छोटे पौधे।
- खैर – कुशल।
- काल – (यहाँ अर्थ) मृत्यु।
- झपटना – आक्रमण करने के लिए तेजी से आगे बढ़ना।
- बीहड़ – ऊबड़-खाबड़।
- जीव-जंतु – (यहाँ अर्थ) छोटे जानवर।
- नाहक – अनायास।
- बकना – व्यर्थ बातें करना।
- रोटी – भोजन।
